एसईसीएल प्रबंधन की उदासीनता का दंश झेल रहे चरचा आरओ के कोलकर्मी…
बारिश में टपकती छत के बीच परिवार सहित रहने को मजबूर है श्रम शक्ति…
कमलेश शर्मा-बैकुंठपर
काले हीरे कोयले का उत्पादन कर देश को उर्जा प्रदान करने वाली श्रम शक्ति इन दिनों एसईसीएल प्रबंधन की उपेक्षा का शिकार है। बरसात के मौसम में एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के चर्चा आरओ में कार्यरत कोल श्रमिक व उनका परिवार प्रबंधन की उदासीनता का दंश झेल रहा है। श्रम शक्ति को भरी बरसात में टपकती छत व गंदगी के बीच जीवन यापन करना पड़ रहा है। जिससे कोविड 19 कोरोना संक्रमण के बीच उनके परिवार के सामने कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही है। चर्चा आर ओ अंतर्गत बने आवासीय क्वार्टर लगभग 30 से 40 वर्ष पुराने हैं। जिनके चलते वे काफी जीर्ण शीर्ण हो चुके हैं। इनकी मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए एसईसीएल प्रबंधन खर्च करती है, लेकिन श्रमिकों व स्टॉफ को राहत नहीं मिल पा रही है।
इन दिनों बारिश अपने शबाब पर है जिसके चलते अधिकांश कॉलरी आवासों की छतें टपक रही है। लोगों को बेडरूम में टपकती छत से बचने के लिए टब लगाकर सोना पड़ रहा है। तेज बारिश होने पर बिस्तर भी गीला हो जा रहा है। लगातार बारिश के कारण छतों में सीपेज हो रहा है तथा छत का प्लास्टर भी उखड़ कर गिर रहा है। जिससे घर परिवार में लोगों के घायल भी हो रहे हैं। पानी टपकने से टीवी, फ्रिज सीएफ़एल बल्ब व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी खराब हो रहे हैं। साथ ही दीवारों में करंट भी आ रहा है जिससे जान जाने का भी खतरा बना हुआ है। बरसात के मौसम में चर्चा कॉलरी के अधिकांश कोल कर्मियों के द्वारा मकानों की छत पर प्लास्टिक व तिरपाल लगाकर पानी से बचाव किया जा रहा है। किंतु यहां बड़ी संख्या में सैकड़ों बंदर छत व पेड़ों पर विचरण करते रहते हैं। जिनके द्वारा प्लास्टिक व तिरपाल को फाड़ व काट दिया जाता है। जिससे छतों पर तिरपाल लगाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। तिरपाल फट जाने से छतों में रिसाव बराबर बने रहता है। इस संबंध में एसईसीएल के कर्मचारियों द्वारा कई बार लिखित व मौखिक रूप से सिविल विभाग व प्रबंधन को अवगत कराया जा चुका है। किंतु उनके कानों पर जूं नहीं रेंग रही है।
विदित हो कि पूर्व के वर्षों में छत की रिपेयरिंग के नाम पर तार फेल्टिंग का कार्य किया गया था। जिसमें ठेकेदार द्वारा छतों को हथौड़े से तोड़ दिया गया था। तथा उसके ऊपर नाम मात्र के लिए डामर की एक पतली परत चढ़ा कर छोड़ दिया गया था। जिसमें अब दरारे आ चुकी है और उन दरारों से पानी घुस कर छतों से रिस रहा है। वर्तमान में एसईसीएल प्रबंधन द्वारा छत की मरम्मत के लिए ए पी पी का कार्य कराया जा रहा है। जिस में भी ठेकेदार द्वारा मनमानी की जा रही है। कॉलोनी के बीच रसूखदारों व पहुंच वालों के मकानों में पक्षपात पूर्ण तरीके से काम किया जा रहा है। तथा अन्य क्वार्टर को छोड़ दिया जा रहा है। इस कार्य को देखने के लिए एसईसीएल का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या इंजीनियर मौके पर उपस्थित नहीं रहता है। यह काम किश्तों में अलग-अलग कालोनियों में किया जा रहा है। जो कि कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन व मजदूरों की कमी के चलते प्रभावित भी हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह काम यदि बारिश के पूर्व हो जाता तो उन्हें छत से पानी टपकने की समस्या से निजात मिल सकती थी। लेकिन ऐसा नही हो रहा है और उन्हें कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। कोयला खदानों में डियूटी के दौरान हाड़ तोड़ मेहनत करके घर आने के बाद भोजन पानी से लेकर सोने तक की परेशानी हो रही है। नींद पूरी नही होने से उनकी कार्य क्षमता के अलावा शारिरिक व मानसिक अवस्था पर भी दुष्प्रभाव हो रहा है। प्रति वर्ष बरसात में होने वाली इस भीषण समस्या से श्रमिक हितों का दम्भ भरने वाले श्रम संगठनो के पदाधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है लेकिन उनके द्वारा भी कोई सार्थक पहल नही की जा रही है। लोगों ने इस सम्बंध में एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक से हस्तक्षेप किये जाने की मांग की है जिससे उन्हें इस समस्या से निजात मिल सके।
Kamlesh Sharma is a well-known Journalist, Editor @http://thedonnews.com/ Cont.No.- 8871123800, Email – Ks68709@gmail.com