कोरियाछत्तीसगढ़

पत्रकारों पर हो रहे हमले, सरकार की चुप्पी को मौन स्वीकृति समझा जाये क्या:- सुरेंद्र अग्रवाल

कमलेश शर्मा-कोरिया

कोरिया/ छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले और उन्हें  साजिश कर फसाये जाने की परंपरा प्रदेश में नई पहचान बना रही है। हाल ही में हुए बस्तर बन्धु के संपादक सुशील पाठक और अब बस्तर कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार श्री कमलकांत शुक्ला जिनके साथ थाना परिसर में जमकर मारपीट की गई और  पुलिस मूक दर्शक बन कर देखती रही। यह लोकतंत्र पर बड़ा आघात है संविधान पर हमला है।

वैश्विक महामारी के बीच जहां पूरा देश इस बीमारी से लड़ रहा वही पत्रकारों पर हो रहे  हमले दुर्भाग्यपूर्ण चिंताजनक है। ऐसे समय मे अपनी जान की परवाह ना करते हुए कोरोना वारियर्स के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है, बावजूद इसके कांग्रेस कार्यक्रता/ जन प्रतिनिधियो ने जिस तरह पुलिस थाने के सामने हमला किया है ऐसा लगता है यह पूर्व प्रायोजित था। वही इस मामले पर  प्रदेश के मुखिया चुप्पी साधे बैठे है। उक्ताशय पर विचार व्यक्त करते हुए पूर्व सरपंच सुरेंद्र अग्रवाल ने प्रदेश की सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी बताएं कि क्या छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षित है।

पत्रकार सुरक्षा कानून लाने में इतनी देरी क्यो हो रही है।अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने का काम प्रदेश में हो रहा है जिसे अखबार जगत बर्दाश्त नही करेगा। शीघ्र ही मामले की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करें। अन्यथा प्रदेश स्तर पर वृहद आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा ।

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