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अन्यत्र क्षेत्रों से साहू समाज को बुलाकर बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर भाजपा संगठन को कौन रहा गुमराह…??? कतिपय भाजपाई ही संगठन विरोधी गतिविधियों से भैया लाल राजवाड़े के जनाधार को कम करने का कर रहे प्रयास…

अन्यत्र क्षेत्रों से साहू समाज को बुलाकर बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर भाजपा संगठन को कौन रहा गुमराह…???

कतिपय भाजपाई ही संगठन विरोधी गतिविधियों से भैया लाल राजवाड़े के जनाधार को कम करने का कर रहे प्रयास…

कमलेश शर्मा, संपादक

बैकुंठपुर (कोरिया)/ आगामी विधान सभा चुनाव और टिकट पर भाजपा के ही कतिपय नेताओं की संगठन विरोधी गतिविधियों की बयार इन दिनों देखने को मिल रही है। जहां एक ओर भाजपा से बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर भैयालाल राजवाड़े के नाम पर स्पष्ट तौर पर बहुमत के बड़े आंकड़े के आंकलन के तौर पर देखा जा रहा है। तो वहीं दूसरी ओर छुटपुट गली मोहल्लों की राजनीति तक सीमित कुछ भाजपाई ही खटमंडल करके अपने ही संगठन के जड़ में माठा डालने में लगे हैं। बीते दिनों वायरल हुई भाजपा विधानसभा प्रत्याशियों की कथित सूची में जिस तरह से आरंग और भरतपुर सोनहत विधानसभा में प्रत्याशी को लेकर विरोध की स्थिति देखी गई और फिर संगठन की ओर से उक्त सूची में संशोधन की स्थिति बनने की गुंजाइश बन रही है। बस इसी तर्ज पर अब कुछ स्थानीय भाजपा नेता इसी को मौका समझते हुए विधानसभा बैकुंठपुर की हवा बदलने की कुत्सित चाल चलने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि भाजपा संगठन को दिग्भ्रमित कर प्रत्याशी बदलवा दिया जाए। अवगत करा दें की जिस तरह बैकुंठपुर विधानसभा से भाजपा के संभावित उम्मीदवार भैयालाल राजवाड़े और उनके मजबूत जनाधार को झुठलाकर उठा पटक की षणयंत्र कारी गतिविधियों को सरे आम आमजन के बीच परोसा जा रहा है। इसे बैकुंठपुर की जनता भलि भांति जान रही है कि इन साजिशों के पीछे कौन है?? आपको अवगत करा दें की भाजपा की वायरल संभावित सूची में बैकुंठपुर विधानसभा सीट के लिए पूर्व मंत्री भईयालाल राजवाड़े का नाम देखने सहित आरंग और भरतपुर सोनहत विधानसभा प्रत्याशियों के खिलाफ असंतोष के आड़ का सहारा लेकर ऐसे भाजपाई जो खुद को भी प्रत्याशी की लाईन में देख रहे थे। जब उन्हे अपनी जगह नही दिखी तो वह एक समाज का आड़ लेकर राजनीति करना चाह रहे हैं। और जिस साहू समाज को लेकर बैकुंठपुर विधानसभा सीट से सामाजिक तौर पर दावेदारी का हवाला दिया जा रहा है। असल में ये उन विघ्नसंतोषी भाजपाइयों की ही गुणा गणित है। जिनका एकमात्र उद्देश्य यही है की उक्त सीट पर प्रत्याशी हम नही तो भईया लाल भी नहीं। जबकि जिस साहू समाज की दावेदारी को मुद्दा बनाकर भाजपा के ही नेता संगठन को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।दरअसल उनका जनाधार भी इतना नही की वह एक वर्ग तक का मत भी हासिल कर पाएं। जबकि अगर दूसरी ओर पूर्व मंत्री भईयालाल राजवाड़े की स्थिति की बात करें तो उनका सामाजिक वोट ही सिर्फ बीस हजार से ऊपर का आंकड़ा उनकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है। साथ ही वह आज भी संगठित है। भईया लाल राजवाड़े के लिए भाजपा का 25 हजार कैडर वोट भी निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है। बात करें टिकट पर संशोधन की तो मान भी लिया जाए तो साहू समाज से भी इस सीट पर कोई भी ऐसा उम्मीदवार नहीं है। जिसके सिंगल नाम पर साहू समाज की एकतरफा सहमति बन सके। साथ ही बैकुंठपुर विधानसभा में साहू समाज भी कई फाड़ में बंटा हुआ है। साहू समाज को लेकर बैकुंठपुर विधानसभा सीट के लिए अगर अन्य जाति समुदाय के मत की बात करें तो अन्य वर्ग भी साहू समाज को अपना विश्वास मत देता नही दिख रहा है। बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र से संभावित प्रत्याशी बदलवाने के लिए साहू समाज केवल भाजपा से दावेदारी जता रहा है। जबकि कांग्रेस व अन्य दलों से उनकी कोई मांग नहीं दिखती है। साहू समाज को बैकुंठपुर की बजाए सूरजपुर प्रेमनगर से दावेदारी जतानी चाहिए जहां कि 35 से 40 हजार की उनकी संख्या है। जो कि चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

बैकुंठपुर विधानसभा सीट की हवा बदलने भाजपाइयों की रायपुर यात्रा…

भारतीय जनता पार्टी जहां एक तरफ अनुशासन और संगठन की मर्यादा के लिए बहुत सख्त मानी जाती है। लेकिन दूसरी ओर गुटबाजी से कोरिया जिले में भाजपा बिखरी हुई नजर आ रही है। जिसके मद्देनजर कह सकते हैं की अनुशासन हीनता से भाजपा कोरिया का जिला नेतृत्व भी असहाय स्थिति में देखा जा रहा है। जिसकी बड़ी वजह यही मानी जा रही है की प्रत्याशी का विरोध करने भाजपा के मुख्य नेता अपने जिला अध्यक्ष को बगैर सूचना दिए ही रायपुर चले गए। फिलहाल वर्तमान माहौल तो भैयालाल राजवाड़े के पक्ष में ही पूरी तरह मजबूत बना हुआ है। पर कयासों का दौर यह भी है की क्या कोरिया जिले की भाजपा ही संगठित नहीं है और कतिपय नेताओं के अंतर्कलह से सराबोर बेलगाम बागी तेवर का बनावटी माहौल दिखाकर ऐनकेन प्रकररेण सिर्फ़ संगठन को गुमराह करने का प्रयास कर रहे है। जो की संगठन विरोधी गतिविधियों को भी उजागर करता है।बहरहाल अब देखना ये है की क्या संगठन विरोधी कार्यों के लिए दोषी भाजपाइयों पर कार्यवाही होगी या चुनावी असंतोष को देखते हुए संगठन मौन धारण कर चुपचाप तमाशा देखेगा।

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