Top Newsकोरियाछत्तीसगढ़राजनीति

भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र के लिए भाजपा क्या विकल्प तलाश पाएगी? गुलाब कमरो की स्थिति मजबूत, केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के भी चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट…

भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र के लिए भाजपा क्या विकल्प तलाश पाएगी?

गुलाब कमरो की स्थिति मजबूत, केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के भी चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट…

भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र पर संपादक कमलेश शर्मा की विशेष रिपोर्ट…

बैकुंठपुर। विधानसभा चुनावों में अभी लगभग साल भर का समय बाकी है, लेकिन राजनीति की बिसात पर शतरंजी चालें बिछना अभी चालू हो गयी हैं। राजनीति के धुरंधर  राजा-रानी इस चौसर पर शह और मात के खेल में जुट गए हैं। और और अपने हिसाब से मोहरों को ज़माना शूरू कर दिया है। “वक्त है बदलाव का” की लहर ने जिस तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार स्थापित कराया था। वहीं 4 साल बीतने के बाद राज्य में हुए विकास और सुशासन से आम जनता कितनी सहमत है। इस बात का आंकलन ग्राउंड जीरो से लगाया जा सकता है। अगर हम छत्तीसगढ़ के विधानसभा क्रमांक 1 भरतपुर सोनहत की बात करें तो भूपेश सरकार के काफी करीबी माने जाने वाले विधायक गुलाब कमरो का वर्तमान विधानसभा क्षेत्र भरतपुर सोनहत है।जहां के वो काफी लोकप्रिय विधायक हैं।अगर इनके बीते 4 साल के कार्यकाल की बात करें तो अपने क्षेत्र की जनता से सीधा संपर्क और सुख दुख में शामिल रहना जहां एक ओर इन्हे इनके वोटरों के करीब रखा है तो वहीं तीनों विधानसभा में अहम विकास कार्य और निर्माण कार्यों ने बुद्धजीवियों में एक अलग छवि कायम कर दिया है। नवीन एमसीबी जिले का गठन उनकी उपलब्धियों में मील का पत्थर साबित हो सकता है। विधायक गुलाब कमरो के जहां शुरुआती कार्यकाल से लगातार क्षेत्र भ्रमण और जनसंपर्क देखने को मिला है। तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा विपक्ष की भूमिका से काफी पिछड़ी नजर आई है।

भाजपा के लिए चुनौती बन चुके हैं विधायक गुलाब कमरो…

जैसा की वर्तमान में कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो की क्षेत्र में मजबूत स्थिति से उनका हौसला आने वाले चुनाव को लेकर बुलंदी पर है। तो वहीं भाजपा के लिए यहां पर बेहतर दावेदारी और जितने लायक उम्मीदवार खड़ा कर पाना चुनौती भरा साबित हो सकता है।भाजपा के संभावित दो महिला और दो पुरुष दावेवारों की बात करें तो सभी अपने अपने क्षेत्र की सिमटी हुई राजनीति से ग्रसित हैं।ऐसे में किसी का भी जनाधार जीत के लिए पर्याप्त होगा यह अतिउत्साह का सबब है। टिकट के दावेदारों में पूर्व विधायक चंपा देवी पावले की बात करें तो इनका पिछला बीता कार्यकाल संतोषजनक न होने के कारण क्षेत्र की जनता इनका विकल्प तलाश रही है। इनका बीता कार्यकाल कुछ खास नहीं होने की वजह से भाजपा की तरफ से इनकी दावेदारी जीत में बदलेगी कह पाना असमंजस में है। दूसरे नंबर पर भरतपुर क्षेत्र के लोकप्रिय जमीनी नेता रविशंकर के दावेदारी की बात करें तो भरतपुर क्षेत्र की जनता के अंदर नए जिले एम सी बी की घोषणा के बाद भरतपुर को कुछ न मिलना साथ ही भरतपुर का आगामी भविष्य भी जिला के लिए खत्म हो जाने पर उपजा अंदरूनी असंतोष का फायदा इन्हे मिल सकता है।परंतु सोनहत और केल्हारी क्षेत्र में इनका चुनावी समीकरण ज्यादा प्रभावी नहीं होगा, जबकि भरतपुर से 70 प्रतिशत वोट पर एक तरफा भारी पड़ सकते हैं। अब तीसरे दावेदारी के लिए अपना कदम मजबूत करने के लिए आए दिन जनसंपर्क और संघर्ष में लगे केल्हारी क्षेत्र के सामाजिक नेता दृगपाल सिंह जिनकी शख्सियत राजनीति के ऊपरी पायदान में जाने के लिए अभी ज्यादा परिपक्व और अनुभवी तो नही है। फिर भी गुलाब कमरो के केल्हारी क्षेत्र के तटस्थ  वोटरों को तोड़ने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। कह सकते हैं की विधानसभा क्षेत्र की 20 प्रतिशत जनता के पसंद बन सकते हैं।अब अंतिम और लोकप्रिय महिला नेत्री   जिनके टिकट की प्रबल दावेदारी की चर्चा आम है इन दिनों क्षेत्र में ऐसा माना जा रहा है की उर्मिला नेताम को भाजपा से भरतपुर सोनहत विधानसभा के 2023 के चुनाव में उन्हें तवज्जो मिल सकती है। और जिन्हे क्षेत्र की जनता एक ऊर्जावान नेत्री के रूप में देख रही है। चूंकि क्षेत्र में हमेशा से इनका जनता के बीच सीधा संपर्क और लोकप्रियता काफी अच्छी बनी रही है। इसलिए इन्हे भाजपा की ओर से क्षेत्र की जनता विधायक का प्रबल दावेदार मान रही है। पर बावजूद इसके उर्मिला नेताम को इसलिए प्रभावी और जीत के करीब नही माना जा सकता है। जिसकी सिर्फ एक बड़ी वजह है कहा जा सकता है की अन्य उपेक्षित दावेदारों की टिकट कटने से प्रभावित प्रतिष्ठा से उपजे आंतरिक कलह की राजनीति उर्मिला नेताम के लिए घातक होगी।

कयासों का सच कितना होगा सफल??

कहा जाता है की जब एक ही दल के  लोगों की आपसी खींचतान और आंतरिक विरोध जीत में बाधा उत्पन्न करने लगे और उसके बाद दूसरे दल का नेता हावी हो तो एक ऐसा फैसला लिया जाता है की सभी आसानी और सहजता से पार्टी दायित्व निभाएं और उनके सामने उपेक्षा सहित ठगे जाने का खीझ भी न हो। आपको बता दें की कोरिया जिले के भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह वर्तमान विधायक गुलाब कमरो का राजनीतिक पैठ बन चुका है ऐसे में क्षेत्र के स्थानीय दावेदारों को अगर टिकट मिल भी जाता है तो इनके लिए गुलाब कमरो को शिकस्त दे पाना  काफी मुश्किल की बात होगी। क्योंकि कोरिया जिले के भाजपाइयों में अक्सर ये बात देखी गई है की फिर जीतने नहीं देने की घटिया चाल शुरू हो जाती है।इसलिए इन दावेदारों की आपसी प्रतिस्पर्धा को ही समाप्त कर एक नया विकल्प तलाशने की ओर प्रयास ज्यादा सार्थक होगा।

रेणुका सिंह की दावेदारी बड़ी जीत, दावा करते हैं राजनीतिक जानकार…

आपको अवगत करा दें की आगामी 2023 विधानसभा चुनाव को लेकर क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मियां बीच दावेदारों के जनाधार बुद्धजीवियों द्वारा टटोले जा रहे हैं।इसी के बीच एक नई और रोचक बात सामने आ रही है। जैसा की आप सभी जानते हैं की सूरजपुर जिले की श्री नगर निवासी व कोरिया की बेटी केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री, भारत सरकार श्रीमति रेणुका सिंह का निरंतर कोरिया जिला भ्रमण और उसके बाद जिले के राजनीतिक गलियारों से निकलती चर्चाओं ने जिस तरह से रेणुका सिंह को भरतपुर सोनहत विधानसभा के विधायक पद के लिए संभावित दावेदार बताया है। और उसके बाद इनके दावेदारी को लेकर चुनावी समीकरण सहित जीत के आंकड़ों का जो हवाला दे रहे हैं। उससे यही साबित होता है की भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच गुलाब कमरो की गहरी पैठ को ध्वस्त करने के लिए रेणुका सिंह भाजपा के लिए अचूक और एक मात्र सही विकल्प हो सकतीं हैं। अगर ऐसा होता है तो काफी हद तक टिकट के स्थानीय दावेदारों के आपसी द्वंद के बदले रेणुका सिंह के वर्चस्व का सीधा फायदा बतौर विजेता भाजपा को मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button