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जर्जर भवन व टपकती छतों के बीच नौनिहाल गढ़ रहे हैं अपना भविष्य… मुख्यमंत्री शाला जतन योजना का हाल बेहाल, गुणवत्ताहीन हो रहे मरम्मत कार्य…

जर्जर भवन व टपकती छतों के बीच नौनिहाल गढ़ रहे हैं अपना भविष्य…

मुख्यमंत्री शाला जतन योजना का हाल बेहाल, गुणवत्ताहीन हो रहे मरम्मत कार्य.

कमलेश शर्मा, संपादक

बैकुंठपुर/ कोरिया जिले सहित पूरे प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा तय शेड्यूल के अनुसार 26 जून से नए सत्र की पढ़ाई स्कूल खुलने के साथ ही शुरू हो चुकी है। राज्य में यही मानसून की आमद का भी समय है। ऐसे में शहर से अंचल तक कई स्कूल ऐसे है जहां जर्जर भवनों वाली छतों से टपकते पानी के बीच देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को कमरों के अभाव के कारण जान हथेली पर लेकर बैठना पढ़ रहा है । कलेक्टर कोरिया विनय लंगेह की कड़ी मशक्कत के बाद भी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं है। निर्माण एजेंसियां मनमाने तरीके से काम कर रहीं है। ऐसा ही एक मामला प्राथमिक शाला चिरगुड़ा (पटना) का है। जहा इस वर्ष बच्चो की दर्ज संख्या करीब 50 हैं व मात्र दो कमरे है। एक अतिरिक्त कमरा बना जो पानी टंकी लगने से टपक रहा व खिड़की दरवाजा जर्जर है। वहीं दूसरा अतिरिक्त कमरा स्वीकृति हुआ किन्तु निर्माण एजेंसी द्वारा डोर लेबल के बाद कार्य ही नही कराया गया। जिससे लगे खिड़की दरवाजे सड़ गये किन्तु जिम्मेदार अधिकारियों ने इस और ध्यान नही दिया। जिससे इस वर्ष भी स्कूल का मरम्मत नही हो सकी। खैर यह तो एक स्कूल का मामला है यदि सही जांच हो तो कई स्कूलों में यह देखने को मिल सकता है जिस कारण बच्चे अव्यवस्था के बीच शासकीय स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं ।

अव्यवस्था के बीच स्कूलों में पढ़ाई हुई शुरू…

गौरतलब हैं कि कई सरकारी स्कूलों में समुचित सुविधाएं नहीं होने के कारण स्कूल सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे हैं । वहीं, कई बार अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ । जिससे बच्चों से लेकर शिक्षकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । जिसका नजारा कोरिया जिले के जनपद पंचायत बैकुंठपुर के शासकीय प्राथमिक शाला ग्राम पंचायत चिरगुड़ा में देखने को मिल रहा है  जहां छमता से ज्यादा बच्चे लिए गए हैं, लेकिन छात्रों के बैठने के लिए उचित भवन नहीं है। शिक्षकों के साथ छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। वहीं इस पूरे मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को होने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है । जिसके कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है । विद्यालय में सुविधाओं के अभाव के कारण विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 50 छात्रों वाले इस स्कूल में छात्र एडमिशन लेने आते हैं, लेकिन कमरों की कमी के बावजूद प्रबंधन उन्हें दाखिला तो दे रहा किन्तु बैठक व्यवस्था कम होने को लेकर चिंतित हैं । हर साल सत्र शुरू होने से पहले भवनों की समीक्षा होती है लेकिन दुरुस्त करने की कोशिश नहीं होती। ये तो रही पुराने भवनों की बात लेकिन सरकार की निर्माण एजेंसी पीडब्लूडी के मार्फत तीन साल में लाखों रुपए से बने भवन चंद महीनों में दरारों से पट रहे हैं। ऐसे में इनकी उपयोगिता भी साबित नहीं हो पा रही है। जिले में सरकारी स्कूलों में भवन निर्माण की स्थिति बेहद खराब है। ऐसे हालात तब हैं जब यह काम तीन सरकारी विभाग करवा रहे हैं। 10 लाख रुपए से कम लागत वाले निर्माण के काम पंचायत स्तर पर उससे अधिक के काम पीडब्लूडी व ट्रायवल विभाग करवाता है। वर्तमान में स्कूल भवन निर्माण को लेकर जो तस्वीर सामने आई है वह लापरवाही और अनियमितता की कहानी कहती है।

मुख्यालय में मुख्यमंत्री जतन योजना का हाल बेहाल…

कोरिया जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के जर्जर स्कूलों के मरम्मत की कहानी को छोड़ दिया जाये, तो कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में ही मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत कार्यों की हकीकत सामने है। नगर पालिका बैकुंठपुर क्षेत्र अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला वार्ड क्रमांक 10 बाजार पारा में आज तक मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के अंतर्गत छत की मरम्मत नही होने के कारण स्कूली बच्चे सुरक्षित ढंग से पढ़ने को मजबूर है। छत से पानी टपकता है इसलिए अंदर से ही पन्नी लगा दिया गया है। इस स्कूल में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 26 है. कोरिया जिले में किस कदर शासकीय योजनाओं को कागजों में सफल घोषित किया जा रहा है, इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायत, नतीजा सिफ़र…

कोरिया जिले में लगातार विभिन्न निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर शिकायत होती रही है, लेकिन प्रशासनिक कार्यवाही के अभाव में कुछ भी सुधार नहीं हो रहा। एक बार फिर से गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यों का खेल मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार कोरिया जिले में 357 स्कूल भवनों के जीर्णोद्धार के लिए उक्त योजना के तहत चयन किया गया है। जिसमें से 259 प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई एवं 98 प्रशासकीय स्वीकृति शेष है। स्कूल प्रारंभ होने तक अभी भी मरम्मत के कार्य पूर्ण नहीं हो सके है। कई स्कूलों में खानापूर्ति के नाम से मरम्मत किये गये, वही अनेक स्कूलों में मरम्मत के बाद भी छत से पानी टपक रहा है।

201 में से 70 स्कूल भवन की मरम्मत का दावा…

कोरिया जिले में इस वर्ष 201 कार्य प्रारंभ हुआ है, जिसमें 70 कार्य पूर्ण एवं 131 कार्य प्रगतिरत है। जर्जर स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए करोड़ों की राशि भी स्वीकृति हुई। किन्तु निर्माण एजेंसी के ठेकेदार की लापरवाही से स्कूल खुलने की तिथि तक सभी स्कूल मरम्मत नही हो पाए। आज भी जिले में करीब 70 स्कूलों के मरम्मत का कार्य पूर्ण होने का दावा तो किया जा रहा किन्तु शिक्षा विभाग के वेबसाइट में एक भी स्कूल पूर्ण नही बताया जा रहा। जब कि जिले में अन्य स्कूल भवन के भी मरम्मत की जरूरत है किंतु अधिकारी के मॉनिटरिंग के अभाव में वे स्वीकृति नही हो सके। जिससे सालों पुरानी समस्याओं के साथ अब 26 जून से शासकीय स्कूलों के पट खुल गये । छात्र-छात्राओं के नए क्लास में जाने के बाद भी वही पुरानी समस्याएं उनके लिए चुनौती बनी रहेंगी। शिक्षक व भवन की मांग करने छात्र-छात्राएं कलेक्टोरेट व अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर काटेंगे। शिक्षक व भवन की कमी बड़ी समस्या है। इसके बावजूद शासन–प्रशासन स्कूलों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। स्कूलों की समस्याओं को लेकर ग्रामीण, पालक, छात्र-छात्राएं परेशान हैं। इसका खामियाजा स्कूली बच्चों को चोटिल होने साथ ही परीक्षा के समय भुगतना पड़ता है।

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