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अवैध कमाई का जरिया व यातना का केंद्र बना नशा मुक्ति केंद्र, पीड़ित की पत्नी ने लगाया आरोप… पटना का नशा मुक्ति केंद्र टॉर्चर को लेकर सुर्खियों में, शिकायत कोरिया कलेक्टर तक…

अवैध कमाई का जरिया व यातना का केंद्र बना नशा मुक्ति केंद्र, पीड़ित की पत्नी ने लगाया आरोप…

पटना का नशा मुक्ति केंद्र टॉर्चर को लेकर सुर्खियों में, शिकायत कोरिया कलेक्टर तक…

कमलेश शर्मा-संपादक

बैकुण्ठपुर /  समाजसेवा के बहाने शहर में खोले गए नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र वास्तव में यातना केंद्र में तब्दील हो गए हैं। कारण यह है कि इन केंद्रों के संचालन के लिए समाज कल्याण विभाग की न तो कोई गाइडलाइन है और न ही इनकी निगरानी की कोई व्यवस्था। लिहाजा नौसिखिए संचालक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती मरीजों से अनैतिक व्यवहार कर रहे हैं। मारपीट तो आम बात है, इन मरीजों पर थर्ड डिग्री तक इस्तेमाल किए जाने के मामले भी सामने आ रहे  हैं। नशा मुक्ति केंद्र सुनने पर लगता है कि यहां पहुंचने पर नशे से मुक्ति मिल जाएगी। नशा करने वाले व्यक्ति के परेशान परिजन भरोसा करके यहां पहुंचते हैं। रुपये भी खर्च करते हैं। मगर, एनजीओ के माध्यम से संचालित ये नशा मुक्ति केंद्र कमाई का जरिया बन हुए हैं। कई बार यहां मारपीट के मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। नवजीवन फाउंडेशन नशा मुक्ति सह उपचार केन्द्र पटना में एक वर्ष पहले खुला था। यहां नशा से मुक्ति को भर्ती कराए जाने वाले लोगों के परिजन से शुरुआत में 20 से 30 हजार रुपये यहाँ तक लाने व बाद में 10 हजार रुपये प्रतिमाह लिए जाने की बातें आमजन में चर्चा का विषय है। दावा नशे से सौ फीसद मुक्ति दिलाने का किया जाता था, लेकिन हकीकत इससे  विपरीत थी। यहां भर्ती कराए जाने वाले लोगों को सुधारने के नाम पर उनका उत्पीड़न किया जाता था। शौचालय साफ कराने से लेकर उनसे मारपीट तक की जाती थी। मामला कलेक्टर कोरिया तक पहुंच गया है। एनजीओ बनाकर किराए की बिल्डिग में यह धंधा चल रहा है। इनमें पांच से दस हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। इसके बाद भी यहां जिम्मेदार विभाग के अधिकारी निरीक्षण नहीं करते। नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती रायपुर निवासी युवक की पत्नी ने आरोप लगाते हुए बताया कि मैं रायपुर (छ.ग.) की निवासी हूँ। गत 23 जनवरी 2023 को मेरे पति को मेरे कहने पर नवजीवन फाउडेशन नशा मुक्ति केन्द्र संचालक   द्वारा रायपुर से पटना  नशा मुक्ति केन्द्र लाया गया। उक्त संस्था के संचालक नशा मुक्ति के जगह मेरे पति के साथ दुर्व्यव्यवहार, मानसिक पताड़ना, मारपीट करते हैं। इसके साथ भोजन की ऐसी व्यवस्था की जेल में इससे अच्छा भोजन मिलने की सूचना मुझे है। जबकि उक्त संस्था के द्वारा बेहतर ऊपचार और सुविधा की बात कही गयी थी जो कि वहां से जाने पर इनकी सारी बाते गलत साबित हुई। चूंकि नशा मुक्ति के नाम पर संचालित संस्था के द्वारा वहां पर आये दिन रात्रि में  शराब सेवन के बाद विवाद  की स्थिति निर्मित रहती है। वह संस्था के द्वारा जो नियम व निर्देश पीड़ित को लाने से पूर्व बताया जाता है ऐसी कोई भी सुविधा वहां नहीं है। केवल संस्था का मुख्य उद्देश्य पीड़ित के परिजनों से धन की ऊगाही करना है। मेरे पति के साथ जो वहां व्यवहार हुआ उससे परिवार टूटने की नौबत आ पड़ी थी। अन्य किसी के साथ इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो इस हेतू उक्त संस्था की जांच कर उचित कार्यवाही की मांग करती हूँ। संस्था में बताये गये सुविधा में छोटे से जगह में लगभग 40 नशा से पिडित लोगों को एक साथ रखा जाता है। भोजन के नाम पर सही व्यवस्था नहीं है, मानसिक तौर पर पताड़ित किया जाता है। बाथरूम धोना, दूसरे के झूठे बर्तन धुलवाना एक दूसरे की कमी निकालकर उसके साथ संस्था के कर्मचारियों के द्वारा  नशा  करने के  बाद सजा बतौर मारपीट करना। पिडित व्यक्ति को लाने से पूर्व बिना पढ़ाये व बताये गलत शर्तों में हस्ताक्षर कराना साथ ही कॉऊसलर के तौर पर चिकित्सक के जगह सिर्फ कागजों में खानापूर्ति व जिम के साथ योगा कागजो में  किया जा रहा है। वहीं कुछ हो जाने पर इसकी जिम्मेदारी संस्था के द्वारा न लेते हुये उक्त पिड़ित के परिजनों पर थोप दिया जाता है। उक्त संस्था द्वारा नशे में लिप्त पीड़ितों  को सही मार्ग में लाने के लिये विधिवत मार्गदर्शन देते हुये संस्था को कार्य करने के निर्देश है। पर संस्था में आने वाले पिड़ितों को जमकर मानसिक प्रताडित किया जाता है। और संस्था में मुख्यतौर पर एक बात कही जाती है जो संस्था से बाहर निकलकर मेरे पति ने बतायी अंधे को देखना, लंगड़े को  चलना व  बहरे को सुनना जैसे शब्दों के साथ पीड़ितों का ईलाज किया जाता है। चूंकि मेरे पति के साथ जो घटना घटित हुई है वहां अन्य पीड़ितों के साथ न हो इसके लिये उचित जांच कर संस्था के संचालक पर कठोर से कठोर कार्यवाही करने की आशा क लरती हूं। पीड़िता ने कहा की मेरे शिकायत पर जांच कर अन्य पीड़ितों को न्याय देने की कृपा करें।

क्या होता है नशा मुक्ति केंद्रों में…

तीन से छह माह तक के लिए लोगों को यहां रोका जाता है। प्रतिमाह दस हजार रुपये खर्च के लिए लिए  जाते हैं। नशे के आदी लोग जब नशा नहीं करते हैं तो उन्हें घबराहट, बेचैनी व अन्य समस्या होती हैं। ऐसे में यहां के संचालक खुद ही डाक्टर बनकर दवा देते हैं। सुधार के नाम पर लोगों का उत्पीड़न किया जाता है। मारपीट तक की जाती है। यह नही होना चाहिए, समाज सेवा के रूप में इन केंद्रों को खोला जाता है। ऐसे में दस हजार रुपये वसूल करना उचित नहीं। नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती रहने वाले लोगों को सलाह या दवा देने को डाक्टर होना चाहिए जो नही है । नशे के आदी लोगों को व्यायाम और अन्य एक्टिविटी में व्यस्त रखा जाना चाहिए। इसके लिए विशेषज्ञ होने चाहिए जो नही है । जिम्मेदार विभागों को समय-समय पर इनका निरीक्षण करना चाहिए।ताकि इनकी मनमानी न हो किन्तु जब नशा करने वाले ही इस तरह के केंद्रों का संचालन करेंगे तो इन केंद्रों में सुधार व्यवस्था को लेकर सवाल उठना लाजमी है।

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