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सूर्योपासना का महापर्व छठ प्रारंभ, छठ घाटों को दिया गया अंतिम रूप… कलेक्टर विनय लंगेह पहुँचे शिवपुर-चरचा छठ घाट, तैयारियों का लिया जायज़ा…

सूर्योपासना का महापर्व छठ प्रारंभ, छठ घाटों को दिया गया अंतिम रूप…

कलेक्टर विनय लंगेह पहुँचे शिवपुर-चरचा छठ घाट, तैयारियों का लिया जायज़ा…

कमलेश शर्मा-संपादक

बैकुंठपुर/ सूर्योपासना का महापर्व छठ नहाये-खाये के साथ प्रारंभ हो गया है। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर सहित शिवपुर-चरचा व पटना एवं आसपास के छठ घाटों को आकर्षक रूप देने के लिये क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के मार्गदर्शन में स्थानीय नगरीय निकायों द्वारा काफी दिनों से  तैयारियां की जा रही थीं। जिन्हें अब अंतिम रूप दिया जा चुका है। शुक्रवार को कलेक्टर कोरिया विनय लंगेह ने छठ घाटों का निरीक्षण कर तैयारियों का जायजा लिया व संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। व्रतियों व श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत ना हो इसलिए छठ घाटों में साफ सफाई के आकर्षक रूप देते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं। बैकुंठपुर में बजारपारा स्थित राजा तालाब, एसईसीएल रामपुर व गढ़ेलपारा में गेज नदी तट, झुमका बांध तथा शिवपुर-चरचा में गागरगुड़ी नाला एवं पटना, पाण्डवपारा व कटकोना के सरोवरों में काफी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए जुटते हैं। क्षेत्र में पूर्वांचल के लोगों के द्वारा श्रद्धा व भक्तिभाव से छठ पूजा की जाती है। खासकर  उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग सूर्य उपासना छठ पर्व 4 दिन तक पूरे भक्ति भाव से करते हैं। श्रद्धालुओं के द्वारा नदी तालाबों में नहाये-खाये, व खरना खीर के साथ घाट बंधान कर व्रत की शुरूआत की जाती है। तथा उपवास रहकर कार्तिक महीना के शुक्ल पक्ष मैं भगवान सूर्य देवता की पूजा-अर्चना की जाती  है। मान्यता है कि छठ पूजा विधि विधान से करने पर सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। चार दिवसीय छठ महापर्व 28 अक्टूबर से शुरू हो गया है। नहाए खाए 29 को व 30 को व्रती महिलाएं पुरुष जल में प्रवेश कर अस्त गामी भगवान सूर्य को विधि विधान से अर्घ्य  देंगे। 31 अक्टूबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस बार छठ के पर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो गयी है और 31 अक्टूबर को इसका समापन होगा।  छठ पूजा में संतान व परिवार की मंगलकामना के 36  घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।

पहला दिन- नहाय खाय-

नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाया जाता है। इस बार नहाय खाय २८ अक्टूबर को है।

दूसरा दिन- खरना-

छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन भोग तैयार किया जाता है। शाम के समय खीर या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है। व्रत का तीसरा दिन  प्रसाद के ठीक बाद शुरू हो जाता है। इस साल खरना 29  अक्टूबर को है।

तीसरा दिन- सांध्य अर्घ्य-

छठ पूजा में तीसरे दिन को सबसे प्रमुख माना जाता है। इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद, व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं और इस दिन डूबते सूर्य की आराधना की जाती है. छठ पूजा का पहला अर्घ्य इस साल 30  अक्टूबर को दिया जाएगा।

चौथा दिन- उषा अर्घ्य

चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ये अर्घ्य लगभग 36  घंटे के व्रत के बाद दिया जाता है। 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद व्रती के पारण करने के बाद व्रत का समापन होगा।

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