दस वर्षों के संघर्ष व हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी मृत कालरीकर्मी के आश्रितों को नही मिला न्याय…
उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर रहा है बैकुंठपुर एसईसीएल प्रबंधन, लगेगी अवमानना याचिका…
कमलेश शर्मा-द-डॉन-न्यूज
बैकुंठपुर/ एसईसीएल प्रबंधन द्वारा उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेशों की अवहेलना की जा रही हैं। उच्च न्यायालय में दस वर्षों के संघर्षों के बाद भी मृत कालरीकर्मी के आश्रितों को न्याय नही मिल पाया है। जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने एसईसीएल के सभी तर्कों को ख़ारिज करते हुए मृतक के आश्रितों को देयकों के भुगतान व अनुकम्पा नियुक्ति का आदेश जारी कर रखा है। दरअसल एसईसीएल बैकुण्ठपुर क्षेत्र में कार्यरत कोयला मजदूर ढोलू राम की मृत्यु सन् 2012 में नौकरी के दौरान हो गई। मृत्यु के पश्चात् ढोलू राम के वारिसान ने एसईसीएल के अधिकारियों के समक्ष मृत्यु पश्चात् मिलने वाले स्वत्वों के भुगतान एवं अनुकंपा नियुक्ति हेतु अनेकों बार आवेदन दिया, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
सर्विस रिकार्ड व अन्य अभिलेख कार्यालय से हुए गायब…
कार्यवाही ना होने की स्थिति में वारिसान द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष प्रथम रिट याचिका प्रस्तुत की गई। जिसमें सुनवाई उपरांत माननीय न्यायालय ने एसईसीएल बिलासपुर के सीएमडी को शपथपत्र प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया कि मृत्यु उपरांत वारिसानों को स्वत्वों का भुगतान एवं अनुकंपा नियुक्ति क्यों नहीं दिया गया ?तत्समय एसईसीएल के सीएमडी ने अपने शपथपत्र में यह कहा कि मृतक ढोलू राम के सर्विस रिकॉर्ड एसईसीएल के कार्यालय से गुम हो गये है। और संबंधित अधिकारी जिनकी लापरवाही से अभिलेख गुम हुए है उनके विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। अतः ऐसी स्थिति में स्वत्वों का भुगतान किया जाना संभव नहीं है। उक्त आदेश को मृतक के वारिसानों ने पुनः एक रिट याचिका में चुनौती दी। चुनौती उपरांत माननीय न्यायालय ने वारिसानों को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लेने हेतु आदेशित किया। इस पुरी प्रक्रिया में लगभग 5 वर्ष व्यतित हो चुके थे।वारिसानों ने बैकुण्ठपुर न्यायालय में उत्तराधिकार हेतु वाद प्रस्तुत किया। एवं सन् 2020 में न्यायालय द्वारा उन्हें मृतक ढोलू राम का वारिसान घोषित किया गया। यह सारी प्रक्रिया एसईसीएल के कर्मचारियों की उदासीनता एवं लापरवाही की वजह से यह हुई। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् भी एसईसीएल के उच्च अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी और ना ही उनके द्वारा कोई कार्यवाही की गई।
2021 में हाईकोर्ट में लगाई नई याचिका…
एसईसीएल की उदासीनता को देखते हुए पुनः सन् 2021 में वारिसानों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली गई एवं नई याचिका प्रस्तुत की गई। यह याचिका वारिसानों द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष तीसरी एवं कुल मिलाकर चौथी न्यायिक प्रक्रिया थी । उक्त याचिका के नोटिस उपरांत एसईसीएल ने अपने जवाबदावे में अपना एक नया पक्ष रखा। जिसमें उन्होंने बताया कि मृतक ढोलूराम जिनकी मृत्यु सन् 2012 में हुई थी। उन्हे सन् 2008 में ही सेवा निवृत्त हो जाना था। इसलिये आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। एवं स्वत्वों का भुगतान हेतु उन्हें एएलसी कार्यालय में संपर्क करना होगा। उक्त याचिका की सुनवाई माननीय न्यायालय द्वारा दिसम्बर 2021 में करते हुए माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय के.अग्रवाल द्वारा करते हुए एसईसीएल के समस्त तर्कों को खारिज किया गया। एवं 30 दिवस के भीतर आश्रितों को रोजगार देने का आदेश किया। साथ ही साथ स्वत्वों के भुगतान पर 10 प्रतिशत का ब्याज मृत्यु दिनांक से देने का आदेश पारित किया। आश्रितों की लड़ाई यहां समाप्त नहीं हुई।
एसईसीएल की याचिका व तर्कों को हाईकोर्ट ने किया ख़ारिज…
एसईसीएल द्वारा उक्त आदेश को माननीय डिविजन बेंच में अपील के माध्यम से चुनौती दी गई। माननीय डिविजन बेंच ने जुलाई माह 2022 के अंतिम सप्ताह में एसईसीएल के तर्कों को खारिज करते हुए माननीय एकल पीठ के आदेश को यथावत् रखा एवं रिट अपील खारिज कर दी। परंतु आज दिनांक तक आश्रितों को ना ही अनुकंपा नियुक्ति दी गई ना ही स्वत्वों का भुगतान किया गया है। दस वर्षों की लंबी लड़ाई के पश्चात् भी न्याय मिलना अभी बाकी है। वादलंबन काल में ढोलूराम की पुत्री जो कि एक याचिकाकर्ता थी की मृत्यु हो चुकी है। मृतक ढोलूराम अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंध रखते थे तथा अशिक्षित थे। उनकी आकस्मिक मृत्यु से पूरा परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका है। ढोलूराम की पत्नी की मृत्यु पहले ही हो चुकी है। आश्रित बच्चे मजदूरी करके अपना जीवन-यापन चला रहे हैं। दस वर्षों की लंबी लड़ाई के पश्चात् भी न्याय मिलना अभी बाकी है।
एसईसीएल प्रबंधन की उदासीनता का जीता जागता उदाहरण:- माज़िद अली अधिवक्ता हाईकोर्ट…
मृतक ढोलूराम के वारिसों के अधिवक्ता माजिद अली से संपर्क करने पर उन्होनें बताया कि एसईसीएल के अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना चायिका प्रस्तुत करने की तैयारी की जा रही है। उक्त प्रकरण नौकरशाहों द्वारा बरती जाने वाली उदासीनता एवं लापरवाही का एक जीता जागता उदाहरण है। जहाँ एक गरीब परिवार को दस वर्षों से एसईसीएल के अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही की वजह दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर होना पड़ा। एवं स्वयं को मृतक का सक्षम न्यायालय के द्वारा उत्तराधिरी घोषित कराना पड़ा। इस पूरी प्रक्रिया में वारिसानों के जीवनकाल के महत्वपूर्ण दस वर्ष कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने में गुजारना पड़ा। परंतु आज दिनांक तक वारिसानों को न्यायिक आदेशों के पश्चात् भी न्याय नहीं मिल सका।
Kamlesh Sharma is a well-known Journalist, Editor @http://thedonnews.com/ Cont.No.- 8871123800, Email – Ks68709@gmail.com