पहली बारिश में ही बह गई डेढ़ करोड़ की सड़क…
प्राक्कलन के अनुसार नही हुआ सड़क का निर्माण, मामला बिहारपुर वन परिक्षेत्र का…
कमलेश शर्मा-द-डॉन-न्यूज़
बैकुंठपुर/ जिले के मनेंद्रगढ़ वन मंडल के अंतर्गत बिहारपुर वन परिक्षेत्र इन दिनों लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण कार्यों में अनियमितता की जा रही है। वन परिक्षेत्राधिकारी का ध्यान वनों की सुरक्षा के बजाए निर्माण कार्यों में ज्यादा है। ताजा मामला बिहारपुर वन सीमा में निर्मित वन मार्ग की सड़क का है, जो कि पहली बारिश में ही बह गई। लोगों का कहना है कि आखिर लाखों खर्च के बाद भी सड़क की हालत क्यों नहीं सुधरी? जबकि निर्माण के एक वर्ष भी पूरे नहीं हुए है। मामला कोरिया जिले के बिहारपुर वन परिक्षेत्र का है। जहां पर बिहारपुर से नगवां पहुंच वन मार्ग जिसकी लंबाई 10 किमी है। जिसका निर्माण उक्त परिक्षेत्र के पूर्व प्रभारी रेंजर द्वारा पहले ही करीब 6 किलोमीटर सड़क बना दिया गया था।शेष चार किमी की डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण वर्तमान प्रभारी रेंजर शंखमुनी पांडेय द्वारा कराया गया है। जंगल के वन मार्ग निर्माण की राशि 15 लाख पर किमी के हिसाब से होती है तो इस तरह से 6 किमी 90 लाख का कार्य पूर्व प्रभारी रेंजर द्वारा और करीब 50 लाख का कार्य वर्तमान रेंजर ने कराया है। वहीं दोनों अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे । जिससे उक्त कार्य की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहा।
प्राक्कलन के अनुसार नही हुआ सड़क का निर्माण…
डब्ल्यूबीएम वनमार्ग का निर्माण प्रांक्लन अनुसार अनुपात में नहीं कराया गया है। 40 एमएम साइज ग्रेनाइट या फिर मजबूत गिट्टी का उपयोग न करके बल्कि जंगलों से खोदकर तोड़े गए बड़े पत्थरों को सीधे तौर पर बिछाकर उसके ऊपर जंगल के बलुई रोड़े को डाल दिया गया है। बड़े पत्थरों को बिछाने से पहले वन मार्ग पर जो मिट्टी डाली गई है वह भी वन मार्ग के पास से ही खोदकर डाली गई है। जिसके लिए वन विभाग जेसीबी मशीन का उपयोग किया है। डाले गए मिट्टी बाद पत्थर फिर उसके ऊपर रोड़ा और फिर सड़क को बराबर दिखाने के लिए रोलर, चला दिया गया और डेढ़ करोड़ रुपये का आहरण कर लिया गया है। प्रांकलन में दर्ज सामग्री के अनुपात अनुसार कार्य किया जाता तो वन मार्ग धरासायी नहीं होता। दोनों प्रभारियों ने अपनी मनमानी तरीके से गुणवत्ताविहीन सड़क बनवाई। पहले मिट्टी की हल्की परत डाली गई उसमें भी अनुपात से कम उसके बाद जंगल से ही संग्रहित अनसाइज बड़े पत्थरों को उस पर बिछा दिया गया। जबकि मिट्टी की पहली परत काफ़ी मजबूत और कंप्रेस करके बनाई जाती है परंतु यहां पर भी चोरी की गई। उसके बाद साइज गिट्टी के बजाय बड़े और जंगल के रेतीले पत्थरों को तोड़कर डाल दिया गया। उसके बाद सड़क में मुरूम के बजाय जंगली बलूखे मिट्टी जिसे रोड़ा भी कहते हैं उन्हें ट्रैक्टर और जेसीबी मशीन के माध्यम से डालकर रोलर चला दिया गया।
मामला उजागर होने से एक दूसरे पर लगा रहे आरोप…
सड़क निर्माण कार्य मे की गई लीपापोती की पोल खुलती देख पूर्व प्रभारी रेंजर और वर्तमान बिहारपुर रेंजर कार्य की गुणवत्ता पर एक दूसरे को दोषी बताने में जुट गए हैं। जबकि अगर देखा जाए तो 4 किलोमीटर की सड़क का निर्माण कराया गया और उसका भुगतान भी वर्तमान प्रभारी रेंजर द्वारा लिया गया है। परंतु प्रभारी रेंजर खुद की कारगुजारी पर कुछ कहने की बजाय पूर्व प्रभारी रेंजर व सेवा निवृत्त डिप्टी रेंजर राम लोचन द्विवेदी के सिर पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। अब देखना ये है की बिहारपुर से नगवां डब्ल्यूबीएम सड़क में गुणवत्ताविहीन कार्य और उस पर भ्रष्टाचार का दोषी विभाग के उच्चाधिकारी किसको बताते हैं। या फिर इस अनियमितता पर दोषियों से सांठ गांठ कर एक और लीपापोती कर दी जाएगी।
Kamlesh Sharma is a well-known Journalist, Editor @http://thedonnews.com/ Cont.No.- 8871123800, Email – Ks68709@gmail.com