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आरटीआई के तहत देर से दी जानकारी, अब देनी होगी क्षतिपूर्ति… नगरनिगम अधिकारी आरटीआई आवेदनों में लगातार बरत रहे लापरवाही…

आरटीआई के तहत देर से दी जानकारी, अब देनी होगी क्षतिपूर्ति…
नगरनिगम अधिकारी आरटीआई आवेदनों में लगातार बरत रहे लापरवाही…
कमलेश शर्मा-द-डॉन-न्यूज़
बैकुंठपुर-चिरमिरी। आम जनता को मिलने वाले सूचना के अधिकार पर नगरनिगम चिरमिरी के अधिकारी पानी फेरने में लगे हैं।  समस्या निस्तारण तो दूर की बात है, यहां मांगी गई सूचना 30 दिनों बाद दी गई और इसके लिए जानकारी शुल्क 1434 रुपए वसूला गया। इस तरह सूचना देने में ना सिर्फ कोताही बरती जा रही बल्कि सूचना ना देना पड़े इसके लिए भरसक कोशिश की जा रही है। ऐसे ही एक मामले में निगम के  जन सूचना अधिकारी पर राज्य सूचना आयोग ने जुर्माना लगाया है। बता दें कि मामला करीब 2 साल पुराना है जिसमें हल्दीबाड़ी निवासी आरटीआई विशेषज्ञ राजकुमार मिश्रा ने निगम कार्यालय में आवेदन कर निगम कार्यालय द्वारा जिला खनिज विभाग को भेजे गए निर्माण कार्यों के लिए रॉयल्टी के दस्तावेज तथा निगम कार्यालय को प्राप्त रॉयल्टी चुकता के दस्तावेज की मांग की थी। वही निगम के जन सूचना अधिकारी ने 717 पेज की जानकारी देने के लिए 1434 रुपए का भुगतान तो कराया निगम चिरमिरी के जन सूचना अधिकारी ने 30 दिनों के बाद एक पत्र भेजकर श्री मिश्रा से 1434 रुपए की मांग की गई। आवेदक को जानकारी की आवश्यकता थी इसलिए उन्होंने गलत तरीके से मांगी गई शुल्क का भुगतान निगम कार्यालय को कर दिया। उसके बाद आरटीआई विशेषज्ञ ने  राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज करा दिया। राज्य सूचना आयोग ने इस शिकायत को शिकायत क्रमांक 477/2021 के रूप में दर्ज किया। मामले में राज्य सूचना आयोग द्वारा सुनवाई दिनांक 8 जून 2022 को किया गया राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त ए के अग्रवाल ने निगम अधिकारी से 500 रुपए की क्षतिपूर्ति तथा जानकारी देने के लिए प्राप्त 1434 रुपए एक महीने के अंदर आवेदक को चेक के माध्यम से देने के आदेश दिया है।
गौरतलब है कि, जिले के कई विभागों में सूचना के अधिकार की अनदेखी की जा रही है ऐसे में विभाग में चल रहे कार्यों की पारदर्शिता लोगों के सामने आने के बजाय दफ्तर की अलमारी में रखी फाइलों तक ही सिमट कर रह जा रही है। जिले में अब तक कईयों ऐसे आवेदन आ चुके हैं जिनमें संतोषजनक जानकारी ना मिलने के कारण आवेदकों को राज्य सूचना आयोग में अपील और शिकायत करनी पड़ रही है। 30 दिन में मिलने वाली जानकारी के लिए यदि लोगों को 2 से 3 साल का इंतजार करना पड़े तो यह जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की निष्ठापूर्ण कार्यशैली और आज के डिजिटल व्यवस्था पर  प्रश्न चिन्ह लगाती है।
आवेदक को मिली क्षतिपूर्ति :-  
राजकुमार मिश्रा बताते हैं कि, मेरे द्वारा वर्ष 2020 के सितंबर महीने में आवेदन लगाकर निगम कार्यालय से जानकारी चाही गई थी। पर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने 1434 रुपए का शुल्क भुगतान कराया गया। जिसके बाद मैंने राज्य सूचना आयोग में शिकायत किया था। जहां से मुझे आर्थिक एवं मानसिक रूप से हुए क्षति के लिए 500 रुपए की क्षतिपूर्ति एवं मेरे द्वारा निगम कार्यालय में किए गए 1434 रुपए भुगतान की अदायगी करने के आदेश निगम अफसर को जारी हुए हैं।
जिम्मेदार करेंगे सूचना के अधिकार का हनन तो लगेगा भारी जुर्माना :- 
पूरे प्रदेश तथा कोरिया जिले में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें जन सूचना अधिकारी के द्वारा संतोषजनक जानकारी ना देने तथा अपील अधिकारी के द्वारा भी सुनवाई में ढिलाई बरतने के कारण आवेदकों को राज्य सूचना आयोग जाना पड़ा है। ऐसे में कई मामलों में राज्य सूचना आयोग ने जन सूचना अधिकारी पर अधिकतम 25 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाया है। जानकार बताते हैं कि अभी कई मामले ऐसे हैं जिनमें जिले के जिम्मेदार अफसरों पर राज्य सूचना आयोग जुर्माना लगाएगा।

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