Top Newsकोरियाछत्तीसगढ़

तहसीलदार ऋचा सिंह के खिलाफ कमिश्नर सरगुजा ने दिया जांच का आदेश, मांगा जवाब… कलेक्टर कोरिया ने की थी अनुशंसा, भ्रष्टाचार व अनियमितता के लगे हैं आरोप…

तहसीलदार ऋचा सिंह के खिलाफ कमिश्नर सरगुजा ने दिया जांच का आदेश, मांगा जवाब…

कलेक्टर कोरिया ने की थी अनुशंसा, भ्रष्टाचार व अनियमितता के लगे हैं आरोप…

कमलेश शर्मा, द-डॉन-न्यूज़

बैैैकुंठपुर/ छत्तीसगढ़ राज्य में भ्रष्टाचार निवारण विभाग और लोकायुक्त जैसी संस्थाएं हैं, फिर भी भ्रस्ट अधिकारियों के हौसले बुलंद होना बताता है कि उच्च संरक्षण प्राप्त अधिकारी के कारण सरकारी तंत्र बौना पड़ चुका है। भ्रष्टाचार के मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है और आरोपी अधिकारियों को बचाने के लिए एक बड़ा तंत्र जुड़ जाता है। इन भ्रष्ट अधिकारियों पर दिखावे के तौर पर छोटी मोटी कार्रवाई कर दी जाती है। जिस कारण से इन भ्रष्ट अधिकारियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। ऐसा ही मामला सरगुजा संभाग के कोरिया जिले में भी आया है, जहां शासन-प्रशासन की छवि धूमिल करने वाली तहसीलदार बैकुंठपुर के खिलाफ सरगुजा कमिश्नर ने जांच के आदेश दिए हैं। पूर्व में भी रामानुजनगर जिला सूरजपुर में पदस्थ रह चुकी प्रभारी तहसीलदार ऋचा सिंह को 2016 में एक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से अवरुद्ध कर दंडित किया जा चुका है। परंतु अपने ऊंची पहुँच व रसूख़ के कारण तहसीलदार ऋचा सिंह के हौसले और बुलंद हो गए और कोरिया जिले में रहते हुए इस आरोपी तहसीलदार के द्वारा 11 राजस्व के मामलों में भारी अनियमितता की गई है। जिसकी जांच कराने के लिए कलेक्टर कोरिया ने संभागायुक्त सरगुजा को प्रस्तावित किया था।

मिली जानकारी के अनुसार कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में लोगों के दर्जनों शिकायतों व रामपुर जमीन मामले में मृत भूस्वामी के बिना उपस्थिति नामांतरण सहित 11 मामलों में तहसीलदार बैकुंठपुर ऋचा सिंह के कार्य में अनिमियतता पाये जाने पर कोरिया कलेक्टर ने संभागायुक्त सरगुजा को व राजस्व मंडल सचिवालय का पत्र लिखकर विभागीय जांच कराये जाने हेतु प्रस्तावित किया था। जिस पर संभागायुक्त ने वर्तमान तहसीलदार ऋचा सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करते हुये उन्हें 18 मार्च को पत्र लिखकर तत्काल जवाब मांगा है। जिस पर विभागीय जांच जल्द शुरू हो सकें। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामपुर जमीन मामले में तहसीलदार ऋचा सिंह द्वारा नामांतरण पंजी वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में किये गये नियम विरूद्ध 8 नामांतरण आदेश, नामांतरण पंजी में पारित किया गया था। जिसके भूस्वामी अरविंद सिंह निवासी ग्राम जूनापारा की मृत्यू हो चुकी थी। जिसके बाद मुख्तारनामा के आधार पर रजिस्ट्री की गयी। जिसका नामांतरण बिना जांच किये एवं पक्षकारों की सुनवाई बिना वर्तमान तहसीलदार ऋचा सिंह के द्वारा किया गया था। इसके साथ इनके द्वारा 10 अन्य अनियमितताएँ भी पाया गयी थीं। जिसे आरोप पत्र में शामिल किया गया था। इसी आधार पर संभागायुक्त सरगुजा ने वर्तमान तहसीलदार ऋचा सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर करते हुये विभागीय जांच करने के लिये वर्तमान तहसीलदार को 18 मार्च 2021 को पत्र जारी करते हुये कहा कि कार्यालय का पत्र एवं आपका आवेदन पत्र का अवलोकन किया गया। जिसमें तहसीलदार के विरूद्ध प्रचलित प्रकरण पर पुनः परीक्षण किया गया। जिसके अनुसार इस मामले में नियमित विभागीय जांच किया जाना अनिवार्य प्रतीत हुआ। साथ ही आपके विरुद्ध¸ छ.ग. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील), नियम 1966 के नियम 14 में निहित प्रावधान अनुसार विभागयी जांच संस्थित किया जाना प्रस्तावित है। जांच हेतु संलग्न आरोप पत्र आरोप का विवरण साक्ष्य अभिलेखों की सूची एवं गवाहों की सूची के आधार पर जांच किया जाना है।

उल्लेखनीय है कि राज्य निर्माण से ही प्रदेश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 10 वर्षों में यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। आश्चर्य की बात तो यह है कि चुनाव में राजनीतिक दल इसे चुनावी मुद्दा बनाने से नहीं चूकते और भ्रष्टाचार खत्म करने और साफ सुथरा प्रशासन देने का वादा करते हैं। लेकिन सत्ता में आते ही यह वादे हवा हवाई हो जाते है और यह भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षक बन जाते हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद जहां भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगा है। वहीं कुछ अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के नए आयाम भी गढ़ दिए है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल 51 फ़ीसदी लोगों ने रिश्वत देकर काम करवाया हैं वही सबसे ज्यादा 26 फीसदी लोगों ने संपत्ति और भूमि संबंधी कामों के लिए रिश्वत दिया है। और 20 फ़ीसदी लोगों को पुलिस को पैसा देना पड़ा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button