कोरिया

कोरिया ज़िले में शासकीय भूमि के रिकॉर्ड में हो रही हेराफ़ेरी… चेरवापारा व भण्डारपारा सलका के बाद बड़गांव में गड़बड़ी…?? सॉफ्टवेयर हैक या अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत…??

कोरिया ज़िले में शासकीय भूमि के रिकॉर्ड में हो रही हेराफ़ेरी…

चेरवापारा व भण्डारपारा सलका के बाद बड़गांव में गड़बड़ी…??

सॉफ्टवेयर हैक या अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत…??

कमलेश शर्मा\बैकुंठपुर– कोरिया ज़िले में जमीनों के अवैध ख़रीद-फ़रोख़्त के साथ शासकीय भूमि हड़पने का व रिकॉर्ड में फर्जीवाड़े का खेल लगातार जारी है। भू माफियाओं की कारस्तानी से राजस्व विभाग भी हलाकान है। भू माफिया अब इतने हाईटेक हो चुके हैं कि वे अब भुईंया जैसे शासकीय सॉफ्टवेयर को भी हैक करने लगे हैं। जिले के बैकुंठपुर तहसील अंतर्गत ग्राम चेरवापारा व भंडारपारा सलका के बाद ग्राम बड़गांव में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां 1949-50 के रिकॉर्ड में दर्ज शासकीय भूमि के रकबा में हेरफेर किया गया है दो मामले में एक ही व्यक्ति के नाम पर शासकीय भूमि का कब्जा होना पाया गया है।

जानकारी के अनुसार भंडारपारा सलका में खसरा नम्बर 268 में 0.5900 व 269 में 11500 हेक्टेयर तथा चेरवापारा में अलग अलग खसरा नम्बर में 1.2800 हेक्टेयर जमीन छोटे झाड़ के जंगल के नाम से दर्ज है। इसे वर्ष 2019-20 में बदल दिया गया। जिसकी जानकारी मिलने पर हल्का पटवारी ने इसकी सूचना राजस्व अधिकारियों को दी, जिसके बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। जानकारी के बाद बैकुंठपुर तहसीलदार ऋचा सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि जमीन अभी शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज है। मामले से जिला प्रशासन व रायपुर के उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। साथ ही इस बात का पता लगाया जा रहा है कि भुईयां सॉफ्टवेयर को हैक कर पटवारियों के पासवर्ड के माध्यम से किसने इस कारनामे को अंजाम दिया है। और जांच के बाद इस मामले में एफआईआर व कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर जमीनों की खरीदी बिक्री वा राजस्व संबंधी कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकलवाए जाने पर कई मामलों में विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आई है। जिन के सहयोग से भू माफियाओं का अवैध कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। राजस्व अधिकारी-कर्मचारी सहयोग के बदले अपने सगे संबंधियों के नाम से भूमि की रजिस्ट्री भी करवा रहे हैं। अब तो भू माफियायों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वे शासकीय भूमि की अदला-बदली के बाद अब शासकीय भूमि के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर करते हुए अब उसे अपने नाम करने में जुट गए हैं। अब इसे भूमाफियाओं की दबंगई कहें या राजस्व विभाग की मिलीभगत ?? क्योंकि भुइयाँ साफ्टवेयर में काम करने के लिये प्रत्येक पटवारी हल्का में अलग अलग पासवर्ड होता है जिसके माध्यम से पटवारी दस्तावेजों में संशोधन करते हैं। बहरहाल यह तो जांच के बाद ही साबित हो पाएगा कि इस पूरे प्रकरण में किसका हाथ है ??

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